Capsicum Farming : शिमला मिर्च की खेती

Capsicum Farming

Capsicum Farming : जैसे की आप जानते है सब्जियों में शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है| शिमला मिर्च, मिर्च की एक प्रजाति है जिसका प्रयोग भोजन में सब्जी की तरह किया जाता है। इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर इत्यादि विभिन्न नामों से जाना जाता है| आकार तथा तीखापन में यह मिर्च से भिन्न होती है| इसके फल गूदेदार, मांसल, मोटा, घण्टी नुमा, कहीं से उभरा तो कहीं से नीचे दबा हुआ होता है|
यह भारत की एक महत्वपूर्ण फसल है। इसे कड़ी, अचार, चटनी और अन्य सब्जियों में मुख्य तौर पर प्रयोग किया जाता है। मिर्च का मूल स्थान मेक्सिको माना जाता है। भारत में इसे 17वीं सदी में लाया गया था। ये औषधीय गुणों से भी भरपुर है। बाजार में शिमला मिर्च लाल, हरी या पीले रंग की मिलती है। चाहे शिमला मिर्च किसी भी रंग की हो लेकिन उसमें विटामिन सी, विटामिन ए और बीटा कैरोटीन भरा होता है।
भारत मिर्च उत्पादन में प्रमुख देश है। मिर्च को ताज़ा, सुखाकर या पाउडर बना कर भी प्रयोग किया जाता है। भारत में मिर्च की खेती मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु, बिहार ,उत्तरप्रदेश और राजस्थान में होता है।

  • Seed Specification   

बुवाई का समय
नर्सरी में बीज में बीज बुवाई का उचित समय जून से जुलाई में, अगस्त से सितंबर में, तथा नवंबर से दिसंबर में।
पौधरोपण का उचित समय जुलाई से अगस्त में, सितंबर से अक्टूबर में तथा दिसंबर से जनवरी में।

दुरी
कतारों के बीच 60 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 30 सेंटीमीटर के अंतर पर दोहरी कतार में छेद बनाए जाते हैं।

बुवाई की गहराई
बीज को 2-4 सैं.मी. गहरा बोयें।

नर्सरी में बीज बुवाई का तरीका
बोने के एक दिन पूर्व बीजों को पाने में भिगों देना चाहिए। भिंगोने के पूर्व इन्हें अच्छी तरह हाथों से रगड़ना चाहिए। बीजों को आर्द्रगलन से बचाव हेतु फफूंदनाशक से बीज उपचारित करना चाहिए। बीजों को छिंट कर नहीं, बल्कि पंक्तियों में बोना चाहिए जो निराई-गुड़ाई एवं बिचड़ा निकालने में सहायता करता है।

पौधरोपण का तरीका
शिमला मिर्च के पौधों को नर्सरी में तैयार करने के बाद रोपण किया जाता है। सामान्यतः 10 से 15 सेंटीमीटर लंबा, 4 से 5 पत्तियों वाला पौध जो कि लगभग 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाता है, रोपण के लिये प्रयोग करें। पौध रोपण के एक दिन पूर्व क्यारियों में सिंचाई कर देना चाहिये ताकि पौध आसानी से निकाली जा सके।

बीज की मात्रा
बीज की मात्रा 200-400 ग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए।

बीज का उपचार
मिट्टी से होने वाली बीमारीयों से बचाने के लिए बुवाई से पहले थीरम या कैप्टान, सिरेसन आदि 2 ग्राम में प्रति किलो बीजों को भिगोएं।

  • Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
शिमला मिर्च की खेती के लिए नर्म आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसकी अच्छी वृद्धि के लिए कम से कम तापमान 21 से 25 डिग्री सेल्सियस होना अच्छा रहता है।

भूमि का चयन
शिमला मिर्च की खेती के लिए रेतीली व चिकनी दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो उपयुक्त रहती है। इसके लिए जीवांश युक्त मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है।

खेत की तैयारी
इसकी खेती के लिए रोपाई से पूर्व 4-5 बार अच्छी गहरी जुताई करे। अंतिम जुताई के समय पाटा लगाकर खेत को भुरभुरा और समतल कर देना चाहिए। और उचित प्रकार से आवश्यकतानुसार क्यारियाँ बनाना चाहिए। ध्यान रहे खेत में जलभराव समस्या न हो।

  • Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
शिमला मिर्च के पौधरोपण से पूर्व खेत तैयारी समय वर्मीकम्पोस्ट खाद या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20-25 टन/एकड़ की दर से मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन 50 किलो, फासफोरस 25 किलो और पोटाशियम 12 किलो प्रति एकड़ में डालें। 50 किलोग्राम नत्रजन को दो भागों में बांटकर खड़ी फसल में रोपाई के 30 एवं 55 दिन बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में बुरकना चाहिये। ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण आधार पर प्रयोग में लाये।

  • Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
फसल की अच्छी पैदावार के लिए, आवश्यकता अनुसार और उचित समय के अंतराल पर गोड़ाई करें। नए पौधों के रोपण के 2-3 हफ्ते बाद मेंड़ पर मिट्टी चढ़ाएं यह खेत को खरपतवार मुक्त करने में मदद करती है| रोपण के 30 दिनों के बाद पहली गोड़ाई और 60 दिनों के बाद दूसरी गोड़ाई करें।

सिंचाई
बीज बुवाई के बाद तुरंत हल्की सिंचाई करें| तथा पौधरोपण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए। पौध स्थापित होने तक प्रतिदिन इसी तरह सिंचाई होना जरूरी है फिर आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। ध्यान रहे खेत में जलभराव समस्या न हो। सिंचाई के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति का उपयोग फायदेमन्द रहता है।

  • Harvesting & Storage

तुड़ाई
शिमला मिर्च के फलों की तुड़ाई पौध रोपण के 60 से 70 दिन बाद प्रारंभ हो जाती है, जो कि 90 से 120 दिन तक चलती है| नियमित रूप से तुड़ाई का कार्य करना चाहिये।

उत्पादन
शिमला मिर्च की खेती वैज्ञानिक तकनीक से करने और परिस्थितियों के अनुसार किस्म का चयन करने के बाद उन्नतशील किस्मों में 150 से 250 क्विटल एवं संकर किस्मों में 250 से 400 किंवटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल जाती है।

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