French Beans Farming : सर्दियों का मौसम चल रहा है। इन दिनों रबी फसलों की बुवाई जोरों पर चल रही है। किसान अपने खेत में गेहूं, चना, सरसों आदि रबी फसलों की बुवाई कर रहे हैं। यदि किसान इन फसलों के साथ ही फ्रेंचबीन की खेती करें तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। फ्रेंचबीन को राजमा भी कहा जाता है। ये एक दलहनी फसल है। हालांकि इसकी हरी पौध को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इसे सुखाकर राजमा के रूप में खाया जाता है।
फ्रेंचबीन में पाएं जाने वाले पोषक तत्व
फ्रेंचबीन या हरी बीन्स में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए लाभकारी होते हैं। इसमें मुख्य रूप से पानी, प्रोटीन, कुछ मात्रा में वसा तथा कैल्सियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासीन, विटामिन-सी आदि तरह के मिनरल और विटामिन मौजूद होते हैं। बीन्स विटामिन बी2 का मुख्य स्रोत हैं। बीन्स सोल्युबल फाइबर का अच्छा स्रोत होते हैं। इसका सेवन हृदय रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी बताया गया हैं। ये शरीर में बढ़े कोलेस्टेरोल की मात्रा को कम करता है जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। इसके अलावा इसके सेवन से रक्चाप नहीं बढ़ता है। इसलिए ये हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। यदि सही तरीके से फ्रेंचबीन खेती की जाए तो किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको फ्रेंचबीन की खेती का सही तरीका और उत्पादन काल में रखने ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातों की जानकारी दे रहे हैं, तो बने रहिये हमारे साथ।
फ्रेंचबीन की खेती के लिए कैसे होनी चाहिए जलवायु और मिट्टी
फ्रेंचबीन की खेती सर्दी व गर्मी दोनों मौसम में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए हल्की गर्म जलवायु अच्छी रहती है। इसके लिए खेती के लिए अधिक ठंडी और अधिक गर्म जलवायु अच्छी नहीं रहती है। इसकी खेती हमेशा अनुकूल मौसम में की जानी चाहिए। यदि मिट्टी की बात की जाए तो इसकी खेती के लिए बलुई बुमट व बुमट मिट्टी अच्छी रहती है। जबकि भारी व अम्लीय भूमि वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं रहती है।
फ्रेंचबीन की खेती के लिए किन किस्मों का करें चुनाव / फ्रेंचबीन की उन्नत किस्में
फ्रेंचबीन की खेती के लिए कई किस्में आती है जो अच्छी हैं। इसमें दो तरह की किस्में आती है जिसमें पहली झाड़ीदार किस्में होती हैं जिनमें जाइंट स्ट्रींगलेस, कंटेंडर, पेसा पार्वती, अका्र कोमल, पंत अनुपमा तथा प्रीमियर, वी.एल. बोनी-1 आदि प्रमुख किस्में है। वहीं दूसरी बेलदार किस्में होती है जिनमें केंटुकी वंडर, पूसा हिमलता व एक.वी.एन.-1 अच्छी किस्में हैं।
फ्रेंचबीन की खेती में बुवाई का सही तरीका
उत्तर भारत में इसकी खेती अक्टूबर व फरवरी में की जाती है। वहीं हल्की ठंड वाले स्थानों पर इसकी खेती नवंबर में की जाती है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र में इसकी खेती फरवरी, मार्च व जून माह में की जा सकती है। बुवाई करते इस बात का ध्यान रखें की बुवाई हमेशा कतार में करें ताकि निराई-गुडाई के काम में आसानी रहे। बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमी. और बीज से बीज की दूरी 10 सेमी. रखनी चाहिए। वहीं बेलदार किस्में लगा रहे हैं तो पंक्ति से पंक्ति की दूरी 100 सेमी रखना अच्छा रहता है। इसके लिए पौधों को सहारा देने का प्रबंध भी करना जरूरी है। इसके लिए लकड़ी, बांस या लोहे की छड़ को सहारे के लिए प्रयोग किया जा सकता है। बीज के अंकुरण के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए।
फ्रेंचबीन की खेती में कितनी मात्रा में करें खाद व उर्वरक का प्रयोग
फ्रेंचबीन के बीजों की बुवाई से पहले बीज का राइजोबियम नामक जीवाणु से उपचार कर लें ताकि जमीन जनित रोग से फसल सुरक्षित रहे। इसके अलावा इसकी खेती के लिए 20 कि.ग्रा. नत्रजन, 80 कि.ग्रा. फास्फोरस और 50 कि.ग्रा. पोटाश की मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के दौरान खेत की अंतिम जुताई समय पर मिला दें। इसके अलावा 20-25 टन गोबर या कम्पोस्ट खाद को खेत की तैयारी के समय मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। वहीं 20 कि.ग्रा. नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से फसल में फूल आने के समय प्रयोग करें।
फ्रेंचबीन की खेती कब करें सिंचाई
फ्रेंचबीन की बुवाई के समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी जरूरी है। इससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है। इसके बाद इसकी हर सात से दस दिन के अंतराल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
फ्रेंचबीन की खेती में कैसे करें खरपतवार पर नियंत्रण
फ्रेंचबीन की खेती में भी खरपतवारों का प्रकोप बना रहता है। खरपतवार वे अवांछिनीय पौधे होते हैं जो इसके आसपास उग जाते हैं और इसके विकास में बाधा पहुंचाकर फसल को हानि पहुंचाते हैं। ऐसे अवांछिनीय पौधों को हटाने के लिए दो से तीन बार निराई व गुडाई करके खरपवार को हटा देना चाहिए। यहां बता दें कि एक बार पौधे को सहारा देने के लिए मिट्टी चढ़ाना जरूरी होता है। यदि खरतवार का प्रकोप ज्यादा हो तो इसके लिए रासायनिक उपाय भी किए जा सकते हैं। इसके लिए 3 लीटर स्टाम्प का प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के बाद दो दिन के अंदर घोल बनाकर छिड़काव करने से खरपवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कब करें फ्रेंचबीन की कटाई (फ्रांसबीन)
फ्रेंचबीन की कटाई फूल आने के दो से तीन सप्ताह के बाद शुरू कर दी जाती है। इसकी फलियों की तुड़ाई नियमित रूप से जब फलियां नर्म व कच्ची अवस्था में हो तब उसकी तुड़ाई करनी चाहिए।
फ्रेंच बीन्स की खेती के संबंध में खास बातें
- फ्रेंचबीन की जातियों में अर्का कोमल, पंत अनुपमा, पंतबीन 2 आदि किस्में रबी मौसम के लिए उपयुक्त हैं।
- वास्तव में यह फलीदार फसल है फिर भी इसको नत्रजन की आवश्यकता होती है।
- इसकी खेती में 260 किलो यूरिया, 375 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 33 किलो पोटाश/हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए।
- पंक्ति से पंक्ति की दूरी 35 से 40 से.मी. तथा पौध से पौध 10 से.मी. की दूरी रखनी चाहिए।
- इसके बीजों को 5-7 से .मी. गहराई पर बोना चाहिए।
- इसकी फली 50 से 60 दिनों में उपलब्ध हो जाती है।