Cauliflower Farming: फूलगोभी एक लोकप्रिय सब्जी है। भारत में इसकी कृषि का कुल क्षेत्रफल लगभग 3000 हेक्टर है, जिससे तकरीबन 6,85,000 टन उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश तथा अन्य शीतल स्थानों में इसका उत्पादन व्यापक पैमाने पर किया जाता है। वर्तमान में इसे सभी स्थानों पर उगाया जाता है। फूलगोभी की खेती पूरे वर्ष की जाती है और फूलगोभी भारत वर्ष की शीतकालीन गोभी वर्गीय सब्जियों में एक प्रमुख सब्जी है। इसकी खेती मुख्य रूप से अविकसित गठे हुए पुष्प पुंज के उत्पादन के लिए की जाती है। सामान्य रूप से फूल गोभी सफेद रंग की पाई जाती है, किन्तु अब इसकी कई उन्नत किस्मो को उगाया जा रहा है, जिसमे नारंगी और बैंगनी रंग के फूल गोभी का भी उत्पादन किया जा रहा हैं। फूलगोभी को मुख्य रूप से सब्जी के रूप में खाने में इस्तेमाल किया जाता है, इसके अलावा इसे अचार, सलाद, सूप और पकोड़े बनाने में भी उपयोग किया जाता है। फूल गोभी में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ‘ए’, ‘सी’ तथा निकोटीनिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते है, जो मानव शरीर के लिए काफी फायदेमद होते हैं। फूल गोभी का सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है, तथा कैंसर जैसे रोगो की रोकथाम के लिए भी इसे लाभकारी माना जाता हैं। किसान भाई इसकी खेती कर अत्याधिक लाभ उठा सकते है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको फूलगोभी की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है।
फूलगोभी के हानिकारक कीट एवं रोकथाम
चमकीली पीठ वाला पतंगा : इस कीट के नियंत्रण के लिए शुरूआत में नीम के बीजों का अर्क 40 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फूल बनने की शुरूआती अवस्था में स्प्रे करें। इसके इलावा बी टी घोल 200 ग्राम की स्प्रे रोपाई के बाद 35 से 50 दिन के भीतर प्रति एकड़ में करें। यदि प्रकोप अधिक हो तो स्पाइनोसैड 2.5 प्रतिशत एस सी 80 मि.ली. को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- सरसों की आरा मक्खी : इस कीट के नियंत्रण के लिए मेलाथियान 50 ई.सी. को 1.5 मि.ली. प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- रस चूसने वाले कीडे़ : रस चूसने वाले कीट जैसे चेपे और तेले का प्रकोप दिखाई दें, तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- सुंडी : यदि एक बूटे पर दो सुंडिया दिखे तो बी टी 10 ग्राम को प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय स्प्रे करें और बाद में नीम अर्क 40 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि इस कीट का हमला ज्यादा हो तो थायोडीकार्ब 75 डब्लयू पी 40 ग्राम को प्रति 15 ली. पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- पत्तों के नीचे की ओर धब्बे : इस के बीमारी के प्रकोप को कम करने के लिए खेत में मैटालैक्सिल़मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर तीन स्प्रे करें।
- पत्तों पर धब्बे और झुलस रोग : फसल में इस बीमारी के होने पर इसकी रोकथाम के लिए 20 मि.ली. स्टिकर के साथ मैनकोजेब या कॉपर ऑक्सीकलोराइड 300 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- सूखा : इसे रोकने के लिए टराईकोडरमा बायो फंगस 2.5 किलो को प्रति 500 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों के नजदीक डालें। साथ ही पौधों की जड़ों में रिडोमिल्ड गोल्ड 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें और जरूरत के अनुसार सिंचाई करें। ज्यादा भारी सिंचाई ना करें।
- आल्टरनेरिया पत्तों के धब्बे : सुबह के समय प्रभावित पत्तों को निकाले एवं नष्ट करें। टैबूकोनाजोल 50 प्रतिशत, ट्रिफ्लोक्सीट्रोबिन 25 प्रतिशत 120 ग्राम या मैनकोजेब 2 ग्राम या कार्बेनडाजिम 1 ग्राम को प्रति लीटर की दर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर में स्प्रे करें।