Lemon (नींबू) : नींबू महत्वपूर्ण फलों की फसल में से एक है। विभिन्न खट्टे फलों का उपयोग दुनिया भर में भोजन या रस बनाने के लिए किया जाता है। नींबू की खेती भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा की जाती है। यह एक अच्छा और लाभदायक व्यवसाय है। लेकिन, इसे शुरू करने से पहले, आपको नींबू की खेती का अच्छा ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
Seed Specification
बुवाई का समय
रोपण दिसंबर – फरवरी और जून – सितंबर से किया जाता है।
अंतर फसली
लोबिया, सब्जियों, फ्रैंच बीन्स के साथ अंतर फसली शुरूआती दो से तीन वर्ष में किया जा सकता है।
दुरी
पौधों के बीच 4.5×4.5 दुरी रखना चाहिए। नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए। गड्ढों में रोपाई के समय गली हुई रूड़ी की खाद 10 किलो और सिंगल सुपर फासफेट 500 ग्राम डालें।
बीज की गहराई
नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए।
बुवाई का तरीका
प्रजनन
पौधों का प्रजनन कलम लगाकर या एयर लेयरिंग द्वारा किया जाता है।
बीज की मात्रा
208 / एकड़ का न्यूनतम संयंत्र घनत्व बनाए रखा जाना चाहिए। प्रसार: पौधों को नवोदित या वायु स्तर द्वारा प्रचारित किया जाता है।
Land Preparation & Soil Health
भूमि
पौधे के लिए उचित जल निकासी वाली हल्की दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। इसमें पैदावार काफी ठीक होती है। नीम्बू की खेती के जलभराव वाली भूमि उपयुक्त नही होती। भूमि का पी.एच.मान करीब 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
खेती की तैयारी
नीम्बू की खेती के लिए शुरुआत में खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को हटाकर खेत की गहरी जुताई कर दें। उसके बाद खेत में कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन अच्छी तिरछी जुताई कर दें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर उसे समतल बना दे।
जलवायु
अनुकूल तापमान: 20°C – 25°C
वर्षा – 75 cm-200 cm
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
फसल 1 से 3 साल की हो जाने पर खाद की मात्रा 6-18 किलो गोबर का खाद, 50-150 ग्राम नाइट्रोजन प्रति पौधा
4 से 6 साल की हो जाने पर खाद की मात्रा 20-40 किलो गोबर का खाद, 200-250 ग्राम नाइट्रोजन प्रति पौधा
6 से 9 साल की हो जाने पर खाद की मात्रा 60-90 किलो गोबर का खाद, 280-400 ग्राम नाइट्रोजन प्रति पौधा
10 से 18 साल की हो जाने पर खाद की मात्रा 105 किलो गोबर का खाद, 400-800 ग्राम नाइट्रोजन प्रति पौधा।
इसके आलावा किसान भाई आवश्यकतानुसार रासायनिक उर्वरक, जिंक सल्फेट और अन्य टॉनिक खादों का प्रयोग कर सकते है| पानी में घुलनशील खादों के छिड़काव से पैदावार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है| ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परिक्षण के आधार पर करें।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
नीम्बू के खेत में खरपतवारों को हाथ से गोडाई करके या रासायनों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, खरपतवार निकलने के पश्चात् – ग्लायफोसेट 4 लीटर या पेराक्वाट 2 लीटर 500 से 600 लीटर पानी मे मिलाकर प्रति हेक्टेयर से उपयोग करे। जहा तक संभव हो खरपतवारनाशक फूल निकलने से पहले उपयोग करे। खरपतवारनाशक का प्रयोग मुख्य पौधो पर नही करना चाहिए।
सिंचाई
नीम्बू की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है। मार्च से जून तक 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते है, जब कि वर्षा ऋतू में सिंचाई नहीं कि जाती सितम्बर से दिसंबर तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए| ज्यादा सिंचाई से जड़ गलन और तना गलन की बीमारियों का खतरा होता है।
Harvesting & Storage
कटाई
फलों की तुड़ाई तब की जाती है, जब वे पूर्ण आकार प्राप्त करते हैं। जब फलों का रंग पीला और आकर्षक दिखाई दें। तब उन्हें डंठल सहित काटकर अलग करना चाहिए। जिससे फल ज्यादा वक्त तक ताज़ा रहता है। फलों की तुड़ाई गीले मौसम में या बारिश के दौरान नहीं करनी चाहिए। संतरों की तुडाई करने के बाद साफ गिले कपड़े से पूंछ लें और छायादार स्थान पर सूखा दें। इसके बाद फलों को किसी हवादार बॉक्स में सूखी घास के साथ भर देते हैं। अब बॉक्स को बंद कर बाज़ार में भेज सकते है।
सफाई एवं सुखाई
वे फल जो तिरछे, अपरिपक्व, झोंके (सूजे हुए), फूला हुआ (फलों की सतह पर धब्बे वाला), विकृत, (प्राकृतिक आकार न होने वाला), गहरे हरे रंग के, फल (डार्क फ्रूट) और रोग के कारण सफाई के दौरान हटा दिए जाते हैं।
कटाई के बाद
कटे हुए फलों को आमतौर पर क्लोरीन (1000 पीपीएम) से धोया जाता है और सतह के पानी को निकालने के बाद उन्हें स्टेफ्रेश हाई शाइन वैक्स (2.5%) के साथ लेपित किया जाता है, जिसमें बाविस्टिन (4000 पीपीएम) होता है और अंत में सुरंग ड्रायर में 500-550C सूख जाता है।