Cardamom Cultivation : इलायची की खेती से होगी लाखों की कमाई

Cardamom Cultivation

Cardamom Cultivation : इलायची की खेती किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में की जाती है। इसकी बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है। इलायची की खेती करके किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। भारत में इलायची की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। इसका उपयोग मुखशुद्धि के साथ ही घर में खाने में मसालों के साथ किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग मिठाई में खुशबू के लिए किया जाता है। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो इससे काफी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को इलायची की खेती की जानकारी दे रहे हैं। आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी।

कैसा होता है इलायची का पौधा

इलायची का पौधा 1 से 2 फीट लंबा होता है। इस पौधे का तना 1 से 2 मीटर तक लंबा होता है। इलायची के पौधे की पत्तियां 30 से 60 सेमी तक लंबाई की होती है व इनकी चौड़ाई 5 से 9 सेंटीमीटर तक होती है।

इलायची के प्रकार / किस्में

इलायची दो प्रकार की होती है। एक हरी इलायची और दूसरी भूरी इलायची होती है। भारतीय व्यंजनों में भूरी इलायची का उपयोग बहुत किया जाता है। इसका उपयोग मसालेदार खाने को और अधिक स्वादिष्ट बनाने और इसका स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। वहीं छोटी इलायची का उपयोग मुखशुद्धि के लिए पान में किया जाता है। इसके साथ ही पान मसालों में भी इसका उपयोग होता है। चाय बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। इस कारण दोनों प्रकार की इलायची की मांग बाजार में बनी रहती है।

इलायची का औषधीय महत्व

मुख शुद्धि के अलावा छोटी इलायची का उपयोग कई रोगों को ठीक करने में सहायक है। इलायची औषधीय गुणों की खान है। छोटी इलायची को संस्कृत में एला, तीक्ष्णगंधा इत्यादि और लैटिन में एलेटेरिआ कार्डामोमम कहा जाता हैं। भारत में इसके बीजों का उपयोग अतिथिसत्कार, मुखशुद्धि तथा पकवानों को सुगंधित करने के लिए होता है। ये पाचनवर्धक तथा रुचिवर्धक होते हैं। आयुर्वेदिक मतानुसार इलायची शीतल, तीक्ष्ण, मुख को शुद्ध करनेवाली, पित्तजनक तथा वात, श्वास, खांसी, बवासीर, क्षय, वस्तिरोग, सुजाक, पथरी, खुजली, मूत्रकृच्छ तथा हृदयरोग में लाभदायक होती है। वहीं बड़ी इलायची भी इसके सामान उपयोग होती है। बड़ी इलायची सांस लेने संबंधी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होती है। इसके अलावा ये कैंसर के खतरे को भी दूर रखती है। इसके सेवन से शरीर से विषाक्त पदार्थों बाहर निकल जाते हैं। मुंह में घाव या छाले होने पर भी इसका सेवन लाभकारी माना गया है।

अधिक इलायची के सेवन से हो सकते हैं ये नुकसान

छोटी इलायची के अधिक सेवन से स्टोन (पथरी) की समस्या हो सकती है। इलायची का गलत सेवन करने पर ये स्किन एलर्जी, दाग, धब्बे जैसी समस्या पैदा कर सकती है। अगर आपको इलायची खाने से एलर्जी होती है तो उसका सेवन करने से बचें वरना आपको सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या भी हो सकती है। यदि आप उपरोक्त शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त हैं तो आपको डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करना चाहिए।

इलायची की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

इलायची की खेती करने के लिए मिट्टी लाल दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है। इसके अलावा इसकी अन्य प्रकार की मिट्टी में भी खाद व उर्वरकों का उपयोग करके इसे आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5 से लेकर 7.5 तक होना चाहिए। वहीं जलवायु की बात करें तो इलायची की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु को सबसे अच्छा माना गया है। इसकी खेती के लिए 10 डिग्री से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।

इलायची की खेती कैसे करें (Elaichi Ki Kheti Kaise Kare)

इलायची की खेती करने से पहले इसके लिए खेत की तैयारी करना जरूरी होता है। इसके लिए सबसे पहले आपको खेत की जुताई करके समतल कर लेना चाहिए। अगर खेत की मेड नहीं है तो मेड लगाने का कार्य जरूर करें। ताकि बारिश के समय में बारिश का पानी खेत से निकलकर बाहर नहीं जाए। इलायची के पौधों को लगाने से पहले एक बार खेत की जुताई रोटावेटर से जरूर कर दें।

खेत की मेड पर भी लगा सकते हैं इलायची के पौधे

यदि आप इलायची के पौधों को खेत की मेड पर लगाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एक से 2 फीट की दूरी पर मेड बनाकर लगाना चाहिए। वहीं इलायची के पौधों को गड्ढों में लगाने के लिए 2 से 3 फीट की दूरी रखकर पौधा लगाना चाहिए। खोदे गए गड्ढे में गोबर खाद व उर्वरक अच्छी मात्रा में मिला देना चाहिए।

इलायची के पौधों को नर्सरी में कैसे तैयार करें (How to Cultivate Cardamom)

इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले इसे नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके लिए नर्सरी में इलायची के बीजों की बुवाई 10 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए। इसके लिए एक हैक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए एक किलोग्राम इलायची का बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। जब इलायची के बीज का अंकुरण होने लग जाए तब आपको सूखी घास से अंकुरित पौधों को ढक देना चाहिए।

इलायची के पौधे को खेत में लगाने का उचित समय

खेत में इलायची के पौधों को तब लगाना चाहिए जब उनकी लंबाई जब एक फीट नहीं हो जाए। इलायची के पौधों को खेत में बारिश के मौसम लगाना चाहिए। वैसे भारत में जुलाई के महीने में इसे खेत में लगाया जा सकता है, क्योंकि इस समय बारिश होने से इसमें सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है। ध्यान रहे इलायची के पौधे को हमेशा छाया में ही लगाना चाहिए। बहुत अधिक सूर्य की रोशनी और गर्मी के कारण इसकी बढ़वार कम हो जाती है। इलायची के पौधों को गड्ढों या मेड पर लगाते समय पौधे से पौधे की बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

इलायची की खेती में खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल

इलायची के पौधों को खेत में लगाने से पहले गड्ढों में या मेड पर प्रत्येक पौधों को 10 किलो के हिसाब से पुरानी गोबर की खाद और एक किली वर्मी कम्पोस्ट देना चाहिए। इसके अलावा इसके पौधों को नीम की खली और मुर्गी की खाद दो से तीन साल तक देनी चाहिए। जिससे पौधा अच्छे से विकास करता है।

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