Cultivating Marigold Flowers : गेंदा की उन्नत खेती

Cultivating Marigold Flowers

Cultivating Marigold Flowers : बाजार में फूलों की मांग गेंदा की खेती के लिए काफी फायदे का सौदा है। गेंदा की कुछ प्रजातियाँ जैसे- हज़ारा तथा पाँवर प्रजातियाँ पूरे वर्ष भर फूल दे पाने में सक्षम है। यह प्रजातियाँ व्यापारीक खेती की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी खेती में कम लागत तथा अधिक मुनाफ़ा है। ढाई महीनें में तैयार होने वाली इस फसल से महीनें में दो फसल ली जाती है। एक बीघा में एक हजार से डेढ़ हजार रुपये की लागत लगती है। जबकी पैदावार 3 क्विंटल तक लिया जा सकता है। बाज़ार में इसकी क़ीमत ₹70 से ₹100 प्रति क्विंटल है।

गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है, त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं।

  • Seed Specification

बुवाई का समय
जलवायु की भिन्नता के अनुसार भारत में इसकी बुआई अलग-अलग समय पर होती है। उत्तर भारत में इसे दो समय पर बीज बोया जाता है पहली बार मार्च से जून तक और दूसरी बार अगस्त से सितम्बर।

बीज की मात्रा
गेंदे की बीज की मात्रा चयनित किस्मों के आधार पर लगाई जाती है। संकर किस्मों का बीज 700 से 800 ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा सामान्य किस्मों का बीज 1.25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।

गेंदा की खेती के लिए पौधशाला (नर्सरी) की तैयारी
गेंदे के बीज को पहले पौधशाला में उगाया जाता है। पौधशाला में सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर जुताई करें।
मिट्टी को भुरभुरा बनाकर उसमें रेत भी मिलाएं, क्यारियाँ बनाकर उसमें गेंदें की बीज डालें। गोबर की खाद छानकर बीज को ऊपर से ढक दें।
जब बीज जमना प्रारंभ हो जाए तो सिंचाई कर दें। 8-10 सेंटीमीटर के हो जाने के बाद पौधों को पौधशाला से उखाड़कर तैयार खेत में लगायें।

रोपाई का तरीका
इसकी रोपाई समतल क्यारियो में की जाती है। पौधों के मध्य की दूरी किस्मों पर निर्भर करती है।

दुरी
अफ्रीकन किस्मों की रोपाई में 60 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 45 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रख कर करते है।
वहीं अन्य किस्मों की रोपाई में 40 सेंटीमीटर पौधे से पौधे तथा इतनी ही लाइन से लाइन की दूरी रखते है।

प्रसिद्ध किस्में
अफ्रीकन गेंदा – क्लाइमेक्स, कोलेरेट, क्राउन आफ गोल्ड, क्यूपीट येलो, फर्स्ट लेडी, फुल्की फ्रू फर्स्ट, जॉइंट सनसेट, इंडियन चीफ ग्लाइटर्स, जुबली, मन इन द मून, मैमोथ मम, रिवर साइड ब्यूटी, येलो सुप्रीम, स्पन गोल्ड आदि, ये व्यापारिक खेती के लिए उपयोगी है।
मैक्सन गेंदा – टेगेट्स ल्यूसीडा, टेगेट्स लेमोनी, टेगेट्स मैन्यूटा आदि प्रमुख है।

  • Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
इसकी खेती शरद ऋतु में होती है। परंतु यह पाले को बर्दास्त कर पाने में समर्थ नहीं है। उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रो में इसे शरद ऋतू में तथा उत्तर भारत के ही पहाड़ी क्षेत्रो में गर्मियों में इसकी खेती की जाती है।

भूमि
गेंदा की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी आदर्श है। उचित जल निकास वाली भूमि जिसका पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

खेत की तैयारी
गेंदा की खेती के लिए रोपाई से पूर्व खेत की 2-3 अच्छी गहरी जुताई करना चाहिए। अंतिम जुताई में पाटा लगाकर खेत को भुरभुरा, समतल, और खरपतवार मुक्त करना चाहिए। साथ ही खेत में अच्छे जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए।

  • Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
गेंदा की खेती में अच्छी पैदावार के लिए 250 से 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर सड़ी गोबर की खाद खेत की तैयारी करते समय इसके साथ 120 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर उपयुक्त है।
विधि – फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा खेत की तैयारी करते समय, बची हुई नत्रजन की आधी मात्रा दो बार में बराबर मात्रा में, पहली बार रोपाई के एक माह बाद तथा शेष रोपाई के दो माह बाद देना चाहिए।

  • Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
गेंदा के खेत को खरपतवारो से साफ़ सुथरा रखना अनिवार्य है। खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें तथा पौधों पर 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी चढ़ा दे। जिससे कि पौधे फूल आने पर न गिरे।

सिंचाई
गेंदे की खेती में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। वैसे तो इसकी खेती में सिंचाई की भी अधिक जरूरत नहीं होती, मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है, जबकि पैदावार ढाई से तीन कुंटल तक प्रति बीघा तक हो जाती है।

  • Harvesting & Storage

तुड़ाई और कटाई
फूलो को हमेशा प्रातः काल ही तुड़ाई करना चाहिए। तेज धूप पड़ने से फूल ख़राब हो जाते हैं। फूलों को तेज चाकू से तिरछा साफ़ पात्र या बर्तन में रखें।

भंडारण
कटाई करने के बाद फूलों को छायादार स्थान पर फैलाकर रखें। कटाई पूर्ण रूप से फूलों को खिलने के बाद ही कर।
कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता रखें।

उत्पादन
गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति एवं फसल की उचित देखभाल पर करें। आमतौर पर उपज के रूप में 125 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होते है।
कुछ उन्नतशील किस्मों से पुष्प उत्पादन 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होते है। जिसकी बाज़ार में क़ीमत ₹70 से ₹100 प्रति किलो है।

1 thought on “Cultivating Marigold Flowers : गेंदा की उन्नत खेती”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
Scroll to Top